कुछ उनकी हरकतों को हमने तग़ाफ़ुल किया, कुछ वो हमें भरी महफिल में तग़ाफ़ुल कर गए॥ तग़ाफ़ुल - नजरअंदाज
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मां
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मां तू कहां चली गई है , तेरे बिन तेरी बेटी अकेली हो गई है , तू ही तो एक सहारा थी...जब तेरी बेटी नटखट आवारा थी। हर पल तुझे याद करती हूं। तुझसे मिलने की फरियाद करती हूं , जब तू थी तब तेरी कदर न जानी, अब यह बात सामने है मानी॥ तेरा ही नाम ज़बा पर रहे, तेरे वापस आने की राह देख रहे । तुम आओगे तो सब ठीक हो जाएगा , जो रूठ गया है वो भी मान जाएगा मां तू लौट आ वापस.. संग अपने खुशियां ला वापस , बहुत कुछ मैं कहना चाहती हूं.. लग गले मैं रोना चाहती हूं। मां तू लौट आ वापस॥
एक चाह
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सपनों की उड़ान मैं भी भरना चाहती हूं, हां मां मैं भी उड़ना चाहती हूं॥ यह जिंदगी कितने दिलचस्प है ? इसकी राह में क्या सिर्फ दर्द है? इसका स्वाद मैं भी चखना चाहती हूं, हां मां मैं भी उड़ना चाहती हूं॥ इसके हर मौसम को मैं जीना चाहती हूं, हां मां मैं भी उड़ना चाहती हूं॥ लगी चोट तो मैं सह लूंगी, दिल के खोल किवाड़ मैं रह लूंगी, तू ही तो कहती है.. कि मैं तेरा ही अंश हूं, इस भरे भारत का मैं भी तो वंश हूं मेरी नहीं तो इस दिल की सुन और मुझे जाने दे ऐ! मां मुझे मेरे सपने बनाने दे तू अब ना रोक मुझे तू, ना टोक मुझे तू, बन परिंदा मुझे भी अब और जाने दे तू ॥